हरामखोर..............
वह पाश्चात्य परिधान पहिने सन-ग्लासेज लगाये, सुन्दर महिला शोपिंग मॉल से निकली, पैसे के पर्चेसिंग पॉवर से थैला पॉवरफुल हो गया था । उसके नाजुक हाथ भारी थैले के साथ सामांजस्य नहीं बिठा पा रहे थे।
वह पार्किंग में खडी अपनी गाड़ी की ओर बढ रही थी। उसके साथ एक परी सी नन्हीं बच्ची थी, जिसके हाथ में एक नया टेडी-बिअर भी था। बच्ची की जिद्द के कारण माँ ने सामने के आइसक्रीम के काउंटर से अपनी हैसियत के हिसाब से मँहगी आइसक्रीम बच्ची के छोटे हाथ में थमा दी। लेकिन खिलौने और आइसक्रीम दोनों हाथों में होने के कारण बच्ची का संतुलन बिगड गया ।
वह पार्किंग में खडी अपनी गाड़ी की ओर बढ रही थी। उसके साथ एक परी सी नन्हीं बच्ची थी, जिसके हाथ में एक नया टेडी-बिअर भी था। बच्ची की जिद्द के कारण माँ ने सामने के आइसक्रीम के काउंटर से अपनी हैसियत के हिसाब से मँहगी आइसक्रीम बच्ची के छोटे हाथ में थमा दी। लेकिन खिलौने और आइसक्रीम दोनों हाथों में होने के कारण बच्ची का संतुलन बिगड गया ।
आइसक्रीम जिसका रैपर अभी खोला भी नहीं गया था, पास ही गंदगी के ढेर के पास गिर गई। महिला ने आइसक्रीम को एक नजर देखा और मासूम बच्ची के गाल पर एक चाँटा रसीद कर दिया। दण्ड पाकर बच्ची की आँखों से आँसूओं की अविरल धारा बह निकली।
महिला बच्ची के कान ऐंठती हुई पार्किंग लॉन की तरफ बढ ही रही थी, की ठैले के समीप हड्डियों के ढाँचा सरिके, एक मरियल से भूखे, प्यासे भिखारी-लडके ने आइसक्रीम को उठाया और उसने अपनी मैली कमीज के दामन से पहले आइसक्रीम के रैपर को अच्छे से साफ किया। लड़का पहली बाइट ले ही रहा था की महिला उस लडके के पास आई और बोली - अरे! हरामी, मुफ्तखोर हराम की चीजों को ही चाट-चाट कर चटोरा हो गया लगता है ? चल पकड ये थैला !
महिला बच्ची के कान ऐंठती हुई पार्किंग लॉन की तरफ बढ ही रही थी, की ठैले के समीप हड्डियों के ढाँचा सरिके, एक मरियल से भूखे, प्यासे भिखारी-लडके ने आइसक्रीम को उठाया और उसने अपनी मैली कमीज के दामन से पहले आइसक्रीम के रैपर को अच्छे से साफ किया। लड़का पहली बाइट ले ही रहा था की महिला उस लडके के पास आई और बोली - अरे! हरामी, मुफ्तखोर हराम की चीजों को ही चाट-चाट कर चटोरा हो गया लगता है ? चल पकड ये थैला !
भिखारी-लडके की डर से घिग्गी बंध गई ,डरा-सहमा वह भारी सा थैला कंधे पर उठाये पार्किंग लॉन की ओर महिला के पीछे-पीछे चलने लगा। मैं सोच रहा था- हरामी कौन है ? कृशकाय वदन लडका या आधुनिक संस्कारों में छिपा यह सुन्दर हुस्न?
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कुमार महेश लालसोट, राजस्थान केसरी कलम |
अति सुन्दर रचना
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