हम आगे बढ़ते जाएंगे
हम कालिका के लाल सकल,
रज-रज मे हमारी गाथा हो
हम समाज का वो पौधा बनें
जो सुन्दर पुष्प खिलाता हो
प्रयास हो हमारा
हम समाज का मान बनें
लिखे इतिहास हम हमारा
समाज की पहचान बनें
अब समाज के मान गौरव का
भार हमारे कंधो पे
हो कठिनाईयों से लडने का
साहस हमारे हाथों में
सफलता हासिल करे हम
किसी भी विषय की पढाई मे
पर मानवता हो धर्म हमारा
न छूटे किसी कठनाई में
आशीष, कमल जी हमारी
आशाओं की परिभाषा है
परिश्रम और संकल्प
हमारी सफलता की भाषा है
आत्मविश्वास हे हमें
हम सफलता के शिखर पर जाएंगे
मेहनत और कर्मठता से
हम स्वंय की पहचान बनाएंगे
संकल्प करना है हमको
हम समाज मान बढ़ाएंगे
खूब पढ आगे बढ़ेगे
नया इतिहास रचनाएंगे
हम विवेक से काम करेंगे
सफलता को ही लक्ष्य बनाएंगे
इसी संकल्प को मन मे लिये
हम आगे बढ़ते जाएंगे
पंकज पंवार
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